Friday, January 18, 2019

योगी राज में गायों को 'ठिकाने लगाने' का खेल, किसान बेहाल-गोरक्षक मालामाल

यूपी के किसान आवारा पशुओं के खेत चर लेने जैसी समस्याओं से परेशान हैं, लेकिन दूसरी तरफ, यह कई NGO से जुड़े गौरक्षकाें के लिए यह गाढ़ी कमाई का मौका बन गया है. आजतक की टीम ने यूपी के बागपत जिले में ऐसे कई एनजीओ कर्मियों को पकड़ा जो आवारा पशुओं को खेतों से हटाकर कहीं और पहुंचाने के लिए प्रति पशु 3500 से 6000 रुपये वसूल रहे हैं.

असल में आवारा पशुओं को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार काफी सख्त हो गई है. सभी जिला और निकाय अधिकारियों को 10 जनवरी तक आवारा पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में रखने के निर्देश दिए गए थे. यह कहा गया कि आवारा पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. अगर कोई काउ शेल्टर में बंद पशु को अपना बताते हुए उसे लेने आता है तो उस पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है. हालांकि यह डेडलाइन खत्म हो गई है, लेकिन किसानों को अभी इस समस्या से छुटकारा नहीं मिला है.

राज्य में अवैध बूचड़खानों पर सख्ती और उन्हें बंद करने के बाद आवारा गाय-बैल की संख्या तेजी से बढ़ी है. इन आवारा पशुओं का गांवों में आतंक रहता है और ये फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. आजतक की पड़ताल के दौरान यह पता चला कि कई एनजीओ किसानों की इस दुर्दशा का फायदा उठा रहे हैं. बागपत के पुसर गांव में हमें बीमार पशुओं को ढोने वाला एक एंबुलेस मिला. ध्यान फाउंडेशन एनजीओ से जुड़ा यह एम्बुलेंस असल में आवारा पशुओं को ले जा रहा था, जिन्हें ग्रामीणों ने एक पंचायत भवन के भीतर कैद कर रखा था. इसे हमने अपने कैमरे में रेकॉर्ड किया.

एम्बुलेंस के साथ जा रहे स्वयंसेवकों ने हमसे बात में यह दावा किया कि वे इन पशुओं को मुफ्त में नरेला के गोशालाओं में पहुंचाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये पशु फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे थे, जिसकी वजह से ग्रामीणों ने इन्हें पीटा भी था. हमें पशुओं की चिंता थी, इसलिए हम यह सब कर रहे हैं. हम मेनका गांधी के एनजीओ पीपल्स फॉर एनिमल्स से जुड़े हैं.

लेकिन ग्रामीणों ने इस एनजीओ के दावे को झूठा बताया. ये एनजीओ पशुओं को ले जाने के लिए मोटा पैसा लेते हैं. असल में गौरक्षकों द्वारा मॉब लिंचिंग के डर की वजह से लोग आवारा पशुओं को किसी अन्य ट्रांसपोर्ट साधन से नहीं ले जाते. एनजीओ इसका ही फायदा उठा रहे हैं. ऋषिपाल सिंह नाम के एक ग्रामीण ने बताया, 'हम गांव के हर किसान से प्रति एकड़ 40 रुपये का चंदा लगा रहे हैं. हमने पांच पशुओं की ढुलाई के लिए 20,000 रुपये दिए हैं, यानी 5,000 रुपये प्रति पशु.'

आजतक ने इस बारे में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और पेटा से जुड़ी अम्ब‍िका शुक्ला से ई-मेल संपर्क किया है, लेकिन अभी उनसे जवाब नहीं मिला है. गौरतलब है कि यूपी में 510 रजिस्टर्ड काउ शेल्टर हैं और 50 जिलों में ऐसे अन्य आश्रयस्थल भी बनाए जाएंगे. हर काउ शेल्टर के लिए सालाना 1.20 करोड़ रुपए का बजट दिया जाता है. एक अनुमान के अनुसार 90 फीसदी ऐसे आवारा पशुओं में बछड़े या बैल होते हैं, गायें महज 10 फीसदी होती हैं. साल 2012 की गणना के अनुसार यूपी में करीब 2 करोड़ गायें हैं.

जब इस बारे में पूछा गया तो जानकारी मिली कि संबंधित शो के लिए उनके पास कंटेंट ही नहीं आया. यह भी बताया कि हमेशा शुक्रवार के शो के लिए स्पेशल कंटेंट आता है, जो वाय चीट इंडिया के शो के लिए नहीं मिला.

पीवीआर के ऑडी 3 में सुबह 10 बजे का शो देखने के लिए बड़े पैमाने पर लोग पहुंचे थे. शो तय समय पर शुरू नहीं हुआ. करीब 40 मिनट वेट करने के बावजूद शो स्टार्ट नहीं हुआ. आखिर में बताया गया, "शो या तो आगे शिफ्ट किया जाएगा या कैंसल. आप लोग देख लीजिए." PVR के कस्टमर केयर पर फोन करने पर बताया गया कि शो कैंसल है.

वाय चीट इंडिया को लेकर दिल्ली एनसीआर के कुछ दूसरे थियेटर्स में भी इस तरह की परेशानियां देखने को मिली. सेक्टर 18 के धर्मा पैलेस में तो मॉर्निंग के लिए 10.30 बजे का शो अरेंज था. पर बुकिंग में दिक्कत बताकर उसे भी रद्द कर दिया गया. फिल्म वाय चीट इंडिया एजुकेशन सिस्टम पर बेस्ड है. इसका निर्देशन सौमिक सेन ने किया है. मूवी में इमरान हाशमी के अपोजिट श्रेया हैं.

Thursday, January 10, 2019

संसद से पास हुआ सामान्य वर्ग का आरक्षण, राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई. अब इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार है.

राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया. लोकसभा ने इस विधेयक को एक दिन पहले ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था.

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाए जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जताई. हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिए लाया गया है.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है.

उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा.

विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया. इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जताई गई और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गई. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लाई है. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को 'असंवैधानिक' बताते हुए सदन से वॉकआउट किया.

विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुई कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं.

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताते हुये कहा कि अभी इस मैच में विकास से जुड़े और भी छक्के देखने को मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह साहसिक फैसला समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्य धारा में समान रूप से शामिल करने के लिए किया है.

उन्होंने इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा पर कहा कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा संविधान में नहीं लगाई गई है. उच्चतम न्यायालय ने यह सीमा सिर्फ पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समूहों के लिए तय की है.

Thursday, January 3, 2019

चांद के जिस हिस्से को किसी ने नहीं देखा, वहां चीन ने उतारा स्पेसक्राफ्ट

मध्य प्रदेश में वंदे मातरम् गाने को लेकर सियासत के गलियारों में हलचल मची हुई है. भाजपा की ओर से लगातार हो रहे हमलों और दबाव के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ अपने रुख से पलटने पर मजबूर हो गए. उन्होंने कहा है कि अब पुलिस बैंड के साथ वंदेमातरम् का गायन होगा. बता दें कि अब तक वंदे मातरम् की चली आ रही परंपरा के अनुसार, यह सामूहिक गान मंत्रालय परिसर में मंत्री की मौजूदगी अथवा मुख्य सचिव की उपस्थिति में होता आया है.

इस बीच, 1 जनवरी को भोपाल में मंत्रालय के सामने उद्यान में सामूहिक वंदे मातरम् न गाए जाने के बाद कमलनाथ सरकार घिर गई थी. हालांकि, अब कमलनाथ ने यू-टर्न ले लिया है. उन्होंने कहा, 'भोपाल में अब आकर्षक स्वरूप में पुलिस बैंड और आम लोगों की सहभागिता के साथ वंदेमातरम् का गायन होगा. हर महीने के पहले कार्यदिवस पर सुबह 10:45 बजे पुलिस बैंड राष्ट्र भावना जागृत करने वाले धुन बजाते हुए शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे.'

शिवराज का ऐलान- मैं गाऊंगा, फिर झुके कमलनाथ

साल के पहले दिन वंदे मातरम् का गान नहीं होने के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने मामले को हाथों-हाथ लपक लिया और कांग्रेस पर ताबड़-तोड़ हमले शुरू कर दिए. उन्होंने पूछा कि आखिर किसके कहने पर वंदे मातरम् गाने की परंपरा कोतोड़ा गया. शिवराज ने कहा, 'अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें. हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा.'

अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनियाभर में लगातार नए-नए कीर्तिमान रचे जा रहे हैं. चीन ने गुरुवार को वो कर दिखाया जो दुनिया में कोई देश नहीं कर पाया. चांद का वो हिस्सा जो पृथ्वी से कभी दिखता ही नहीं है, उस हिस्से पर चीन ने अपना अपना स्पेसक्राफ्ट चांग-4 उतार दिया. अंतरिक्ष के क्षेत्र में इस कदम को बड़ी क्रांति माना जा रहा है. चांद के इस हिस्से को डार्क साइड कहा जाता है, जो पृथ्वी से देखा नहीं जा सकता है.

चीन की समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने घोषणा कर बताया कि एक लैंडर और एक रोवर वाला अंतरिक्ष यान सुबह 10.26 बजे (बीजिंग समयनुसार) 177.6 डिग्री पूर्वी देशांतर और 45.5 डिग्री दक्षिण अक्षांश में चांद के अनदेखे हिस्से में उतरा है. ये चांद का वही हिस्सा है जो पृथ्वी से कभी नहीं दिखता है.

आपको बता दें कि पृथ्वी से चांद का सिर्फ एक ही हिस्सा नजर आता है. इसका कारण ये है कि जब चांद धरती का चक्कर लगा रहा होता है, उसी वक्त वह अपनी धुरी पर भी घूम रहा होता है. यही कारण है कि चांद का दूसरा हिस्सा कभी पृथ्वी के सामने आ ही नहीं पाता है. चीन पिछले काफी लंबे समय से इस मिशन में लगा था, अब जाकर उसका ये मिशन पूरा हो सका.

इससे पहले 2013 में चीन का चांग 3 1976 के बाद चांद पर उतरने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट बना था. अब चांग 4 को चीन ने चांद के अनदेखे हिस्से में पहुंचाया है, इसकी मदद से वहां पर उसकी सतह, खनिज के बारे में पता लगाया जाएगा. चीन ने चांग 4 को पिछले ही महीने 8 दिसंबर को लॉन्च किया था. गौरतलब है कि भारत भी जल्द ही अपने दूसरे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 2 को लॉन्च कर सकता है. जिसपर दुनियाभर की नजर है.

मध्य प्रदेश में मंत्रालय परिसर में सामूहिक तौर पर वंदेमातरम् गाने की 13 साल पुरानी परंपरा पर अघोषित रोक लगाए जाने के विरोध में भाजपा ने बुधवार को मंत्रालय के सामने स्थित उद्यान में सामूहिक वंदे मातरम् का गायन आयोजित किया. भाजपा ने, हर माह की 1 तारीख कोहोने वाले सामूहिक वंदे मातरम् गायन पर रोक का विरोध करते हुए मंत्रालय के करीब स्थित उद्यान में वंदे मातरम् का समवेत गायन किया.

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने एक ट्वीट में लिखा, 'मैं और भाजपा के समस्त विधायक विधानसभा सत्र के पहले दिन 7 जनवरी को सुबह 10 बजे वल्लभ भवन के प्रांगण में वंदे मातरम् का गान करेंगे. इस मुहिम से जुड़ने हेतु आप सभी का स्वागत है.'

चौहान ने आगे कहा, 'कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती है, जाती है लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है. मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट मीटिग से पहले और हर महीने की पहली तारीख़ को हमेशा की तरह वल्लभ भवन के प्रांगणमें हो.'

肺炎疫情与外交紧张:新冠病毒阴影下的明争与暗斗

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